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बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी, गर ठहर गया

बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी,
गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं।
.
अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं,
बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं।
.
मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को,
गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।।
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 बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी,
गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं।
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अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं,
बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं।
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मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को,
गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।।
बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी,
गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं।
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अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं,
बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं।
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मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को,
गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।।
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 बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी,
गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं।
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अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं,
बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं।
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मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को,
गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।।