बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी, गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं। . अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं, बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं। . मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को, गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।। . बहते दरिया के पानी सी शख्सियत है मेरी, गर ठहर गया कहीं तो कहीं गंदा न हो जाऊं। . अंधेरों में भी आंखे बंद कर के रखता हूं, बेफिजूल की चमक लगे तो कहीं अंधा न हो जाऊं। . मेरी मानो तो खुले में ही छोड़ दो मेरे टूटे ख्वाबों के बीजों को, गहरा दबाया तो कही नमी से फिर से जिंदा न हो जाऊं।।