मेरी ख्वाइशें मुझ मैं ही थी व्याप्त, न जाने धीरे-धीरे क्यों हो रही थी समाप्त, शायद वो मेरी डगर से अलग पा रही थी राह, और अब मुझमें भी थी कुछ अलग पाने की चाह। यह प्रतियोगिता संख्या -27 है आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है। 💐💐 🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक