Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी ख्वाइशें मुझ मैं ही थी व्याप्त, न जाने धीरे-ध

मेरी ख्वाइशें मुझ मैं ही थी व्याप्त,
न जाने धीरे-धीरे क्यों हो रही थी समाप्त,
शायद वो मेरी डगर से अलग पा रही थी राह,
और अब मुझमें भी थी कुछ अलग पाने की चाह। यह प्रतियोगिता संख्या -27  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
                 आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक
मेरी ख्वाइशें मुझ मैं ही थी व्याप्त,
न जाने धीरे-धीरे क्यों हो रही थी समाप्त,
शायद वो मेरी डगर से अलग पा रही थी राह,
और अब मुझमें भी थी कुछ अलग पाने की चाह। यह प्रतियोगिता संख्या -27  है
आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है।
💐💐
 
🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें

नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद
                 आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक