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"उस रात वो बहुत रोयी थी" -------------------------

"उस रात वो बहुत रोयी थी"
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उसका काम तो बस चहकते रहना था,
बेहतर हैं हर दिशा
ये चीख - चीख कर हवाओं का कहना था।
सुनहरी सुबह, तो रंगीन हर शाम थी
जी भर के उड़ने को खुला आसमां था।।

बसब्री, बेवशी के मायने तो बस एक अल्फ़ाज़ था,
ना मालूम था कुछ, उसे उस एहसास की।
दर्द तो बस एक अनजाना राज़ था,
बातें उसकी बचकानी सी लगती, जैसे कोई सुरीला साज़ था।।

फिर अचानक उसके ख्वाबों को दफ़न करने को मेहमान बन के
आया वो बेरहम रात था,
तब सिसकियों के साथ ही दम तोड़ बिखरा हर अरमां था।
"दूर रहो" बोलकर सुनाया गया जो फ़रमान था,
वहीं दो शब्द चुप - चाप हो जाने का आख़िरी पैग़ाम था।।

अब कुछ बचा ही नहीं था तो क्या कहती उस शकस से वो?
कि उस रात वो बिल्कुल भी नहीं सोयी थी।
सिसकियों की आवाज़ दबाकर के सबसे
उस रात वो बहुत रोयी थी।।

        -Anushka Anand #वो_उस_रात_बहुत_रोयी_थी
#बेरहम_रात
#sadquotes 
#hindipoetry 
#nojotoofficial 
#Notojolovepoem 
#hiddenfeelings 
#Woman
"उस रात वो बहुत रोयी थी"
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उसका काम तो बस चहकते रहना था,
बेहतर हैं हर दिशा
ये चीख - चीख कर हवाओं का कहना था।
सुनहरी सुबह, तो रंगीन हर शाम थी
जी भर के उड़ने को खुला आसमां था।।

बसब्री, बेवशी के मायने तो बस एक अल्फ़ाज़ था,
ना मालूम था कुछ, उसे उस एहसास की।
दर्द तो बस एक अनजाना राज़ था,
बातें उसकी बचकानी सी लगती, जैसे कोई सुरीला साज़ था।।

फिर अचानक उसके ख्वाबों को दफ़न करने को मेहमान बन के
आया वो बेरहम रात था,
तब सिसकियों के साथ ही दम तोड़ बिखरा हर अरमां था।
"दूर रहो" बोलकर सुनाया गया जो फ़रमान था,
वहीं दो शब्द चुप - चाप हो जाने का आख़िरी पैग़ाम था।।

अब कुछ बचा ही नहीं था तो क्या कहती उस शकस से वो?
कि उस रात वो बिल्कुल भी नहीं सोयी थी।
सिसकियों की आवाज़ दबाकर के सबसे
उस रात वो बहुत रोयी थी।।

        -Anushka Anand #वो_उस_रात_बहुत_रोयी_थी
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