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जगह जगह ही मुहब्बत के गुल हैं खिल गए तुम्हें ही क

जगह जगह ही मुहब्बत के गुल हैं खिल गए 
तुम्हें ही क्यों  ये अजब लोग यूँ ही मिल गए

ज़मीं-ए-इश्क़ की अभी नम ही है न जाने क्यों
ये गुल यूँ तुमसे ही राब्ता हो मुश्तइल गए             #YourQuoteAndMine
Collaborating with Mradul Joshi
जगह जगह ही मुहब्बत के गुल हैं खिल गए 
तुम्हें ही क्यों  ये अजब लोग यूँ ही मिल गए

ज़मीं-ए-इश्क़ की अभी नम ही है न जाने क्यों
ये गुल यूँ तुमसे ही राब्ता हो मुश्तइल गए             #YourQuoteAndMine
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