बड़ा अजीब दस्तुर है जिंदगी का साहब हम जिसे चाहते हैं, उन्हें हीं अपनी चाहत बता नहीं पाते।।। इसी में अर्ज़ किया है- कुदरत ने भी क्या फुल खिलाया था। उस तक पहुंचने में ज़माने ए आलम का साया था। पल पल काटते रह गए हम साल बराबर। दिल चाहत तक ही सीमित रहा, न आई उनके अपनें बनने की खबर।। #jindgi #alfazz #kuchadhurasa