अब सावन से ओ प्यार नहीं........ घर जाने को मन में उठती बयार नहीं.... जिस आंगन में भाई आपका प्यार नहीं.... अब राखी का त्यौहार नहीं..... अब सावन से प्यार नहीं सुनी थाल ,चंदन, रोली मोती वाला धागा नही.. अब दीपक नहीं जलता राखी वाली थाली में... घर सुना सुना लगता है. भाई अब आप सा प्यार नहीं...... किस माथे तिलक लगाऊं किस कलाई बांधू रखी आप सा दूजा भाई नहीं... तस्वीर आप की रखी है उस पे फूलों की हार पड़ी है...... उस में आप की कलाई नहीं..... अगले जन्म में फिर मिलेंगे इसी आंगन में फिर वही कलाई होगी चंदन ,रोली ,अक्षत होगी सावन फिर से हरा होगा फिर सावन से प्यार होगा मिलूंगी मैं आप को ठीक द्वार पे साथ में प्यार का दो तार होगा तब फिर सावन से प्यार होगा... अब सावन से प्यार नहीं... #सारिका ©Sarika Das #RakshaBandhan2021