Nojoto: Largest Storytelling Platform

उधड़े हुए हालात में मैं ख़्वाब नए बुन रहा ! धु

उधड़े  हुए हालात में  मैं ख़्वाब  नए  बुन रहा  ! 
धुआँ धुआँ  है जहाँ मैं उस  रास्ते पे  चल रहा !! 

गर्म  इतनी है धरा  सूरज की जैसे  ज़मीन हो  ! 
मैं  लाश  अपनी  ही  लिए  पाँव नंगे चल रहा !! 

मुसीबतों से बचने को  गया अपने  अयाल में  ! 
सिहर गया देख मैं  अपना ही अपने छल रहा !! 

हमदर्द था हमसाया था हमकदम जो भाई था  ! 
दौर-ए-ग़रीबी में मेरी वो ज़हर कैसे उगल रहा !! 

लिख दे "कातिब" आज तू हरक़तें इंसान की  ! 
आने वाली पीढ़ी देखे  बशर था कैसे ढल रहा !!

©Prashant Shakun "कातिब" #अयाल ----- परिवार
#दौर_ए_ग़रीबी ----- times of Poverty

यहाँ ढलना का अर्थ is to decline👆



#ज़िंदगी_के_किस्से
उधड़े  हुए हालात में  मैं ख़्वाब  नए  बुन रहा  ! 
धुआँ धुआँ  है जहाँ मैं उस  रास्ते पे  चल रहा !! 

गर्म  इतनी है धरा  सूरज की जैसे  ज़मीन हो  ! 
मैं  लाश  अपनी  ही  लिए  पाँव नंगे चल रहा !! 

मुसीबतों से बचने को  गया अपने  अयाल में  ! 
सिहर गया देख मैं  अपना ही अपने छल रहा !! 

हमदर्द था हमसाया था हमकदम जो भाई था  ! 
दौर-ए-ग़रीबी में मेरी वो ज़हर कैसे उगल रहा !! 

लिख दे "कातिब" आज तू हरक़तें इंसान की  ! 
आने वाली पीढ़ी देखे  बशर था कैसे ढल रहा !!

©Prashant Shakun "कातिब" #अयाल ----- परिवार
#दौर_ए_ग़रीबी ----- times of Poverty

यहाँ ढलना का अर्थ is to decline👆



#ज़िंदगी_के_किस्से