Today international men's day.. मर्द किसी पे हाथ उठाये तो उसे बेदर्द समझते है l.. ना उठाये तो उसे नामर्द समझते है।। कुछ अपनो के लिए करे तो लोग उसे कर्ज समझते है।। कुछ अपने लिए करे तो उसे खुदगर्ज समझते है।। कि अपने सारे रिश्तो कुछ इस तरह बुनता हैll अपनी कहां सुन पाता सिर्फ अपनों की सुनता है। लड़कियों की इज्जत करें तो लड़की वाज कहते हैं सब। ना करें तब भी गंवार कहते हैं सब कि आने वाली पीढ़ी को लायक बनाता है शायद तभी तो मर्द को नालायक समझा जाता है ।। परिवार के बोझ को कुछ इस तरह उठाना पड़ता है। मर्द को दर्द कितना भी हो पर मुस्कुराना पड़ता है।अगर भूल से भी भूल हो जाये तो उसे अपराधी समझते है ।। अगर गलती से किसी को छू ले तो उसे पापी समझते है।। शायद इसीलिए चुप रहते है कि कभी तो कोई हमे समझेगा ।। सब सबकी बातें करते है शायद हमारे हक की भी कोई करेगा ।। कि दबे है समाज के बोझ तले हमे न मगरूर समझो हम भी फूल की तरह है ना हमे नासूर( कांटा)समझो ।। शायद इसीलिए निभाता है सब ,कि इसके नाम मे ही फ़र्ज़ होता है।। पर ये भी सच है कि मर्द को भी दर्द होता है। मर्द को भी दर्द होता है ।..(written by,i.f mens day