ढ़लती शाम बताती है कि, दिन बीता है इंतज़ार में। मिलने की आश में बैठी हूँ, मैं साजन तेरे प्यार में। राह तुम्हारी तकते तकते, कहीं मैं बूढ़ी न हो जाऊँ। अब तो आ जाओ साजन, इस मौसम-ए-बहार में। भेजने का समय आज रात 12 बजे तक परिणाम की घोषणा कल दोपहर 1 बजे। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें