रेस ट्रिप वो पानी के बुलबुले, सुन मेरे प्यारे चुलबुले, पंछी गा रही है, ठंडी हवाए आ रही है, लताएं मचल रही है, फिजाए सम्भल रही है, भोर-भोर लालिमा छा रही है, किरनों को देख पत्ते गुनगुना रही है, गौशाला से निकलते बछड़े मचल रहे है, चरवाहा बदल रहा है, सूरज स्थान बदल रहा है, गोधूलि बेला की गंध आ रही है, अब बच्चे निकल रहे है, खेल खेलने की ललक आ रही है, चलो सब मिलकर रेस ट्रिप खेले, बोलो कौन कौन कहाँ कहाँ मिले....? Sun writer ©Durgesh Kumar Race trip ( a game)