रात-दिन तेरा खयाल बस तेरा इंतजार करते हैं, शाम ओ सवेरे अब हमको नागिन से डसते हैं। सोचा था तन्हाइयां और वीरानियां मिट जाएंगी, जीवन में बस प्यार की महफिलें सज जाएंगी। अमीरी गरीबी ने हमारे बीच में दीवारें उठा दी, हमारे रिश्ते में प्यार की जगह नफरत भर दी। हर मोड़ हर घड़ी हमारा ही था तिरस्कार किया , रख लेते रिश्ते का मान गर तुमने था प्यार किया। विलोम शब्द रात- दिन शाम- सवेरे तनहाई- महफिल अमीरी- गरीबी प्यार- नफरत तिरस्कार -मान