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ये ज़ुल्फ़ अगर खुलके बिखर जाये तो अच्छा, इस रात की त

ये ज़ुल्फ़ अगर खुलके बिखर जाये तो अच्छा,
इस रात की तकदीर संवर जाए तो अच्छा,
जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है,
बाकी भी इसी तरह गुजर जाए तो अच्छा।

©Md Naiyar Nadim
  sayri gajle

sayri gajle #प्रेरक

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