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अंधेरों में जितनी भी थी औकात जले, उम्मीदों के जुगन

अंधेरों में जितनी भी थी औकात जले,
उम्मीदों के जुगनू सारी सारी रात जले।
लहू उबल उबल के आँखों में उतर आये,
खुदा,ऐसे भी ना,किसी के,हालात जले।
गर्म साँसों में दहकता था,कल रात क्या ?
हर आह पे इश्क के तमाम वाक़िआत जले।
हक़ीक़त बेपर्दा हुई,हमपे इस तरह,
मतलबी रिश्तों के सारे तिलिस्मात जले।
तपती दोपहरी में जलकर खाक़ होता बदन  
गरीब की जैसे सारी की सारी हयात जले।
रूह रोशन हुई,बस इतना है बहुत,
अब मत पूछिए कितने मेरे जज़्बात जले। #zindagi #haqiqat #jalna #hindi_shayri #hindi
अंधेरों में जितनी भी थी औकात जले,
उम्मीदों के जुगनू सारी सारी रात जले।
लहू उबल उबल के आँखों में उतर आये,
खुदा,ऐसे भी ना,किसी के,हालात जले।
गर्म साँसों में दहकता था,कल रात क्या ?
हर आह पे इश्क के तमाम वाक़िआत जले।
हक़ीक़त बेपर्दा हुई,हमपे इस तरह,
मतलबी रिश्तों के सारे तिलिस्मात जले।
तपती दोपहरी में जलकर खाक़ होता बदन  
गरीब की जैसे सारी की सारी हयात जले।
रूह रोशन हुई,बस इतना है बहुत,
अब मत पूछिए कितने मेरे जज़्बात जले। #zindagi #haqiqat #jalna #hindi_shayri #hindi
madhavawana2803

Madhav Awana

New Creator