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आशाएँ कभी-कभी ये आशाएँ, जीवन को दिशा दिखाती हैं,

आशाएँ

कभी-कभी ये आशाएँ, 
जीवन को दिशा दिखाती हैं, 
और कभी टूट दर्पण भांति, 
चुभती और रक्त बहाती हैं।

कुछ आशाएँ स्वयं से करते, 
कुछ मर्यादा बन जाते हैं, 
कुछ जुड़ जाते स्वजनों से, 
सुख-दुःख का मार्ग बनाते हैं।

क्यूँ बंधते इन आशाओं में? 
क्यूँ मोह जाल में फँस जाते हैं? 
जब आशाएँ मन में उगती हैं, 
क्यूँ मन-अंकुश नहीं लगाते हैं? आशाएँ

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आशाएँ

कभी-कभी ये आशाएँ, 
जीवन को दिशा दिखाती हैं, 
और कभी टूट दर्पण भांति, 
चुभती और रक्त बहाती हैं।

कुछ आशाएँ स्वयं से करते, 
कुछ मर्यादा बन जाते हैं, 
कुछ जुड़ जाते स्वजनों से, 
सुख-दुःख का मार्ग बनाते हैं।

क्यूँ बंधते इन आशाओं में? 
क्यूँ मोह जाल में फँस जाते हैं? 
जब आशाएँ मन में उगती हैं, 
क्यूँ मन-अंकुश नहीं लगाते हैं? आशाएँ

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