गाँव की गलियों में ज़िन्दगी रवाँ होती है बच्चपन बेपरवाह होता है रौनक़-ए-बहार होती है अठखेलियाँ में होता है यौवन चंचल हवाएँ होती हैं समय असीम होता है दरिया दिली बेपनाह होती है आओ ले चलूँ तुम को भी गाँव के 'सफ़र' पर शहर से अलग यहाँ ज़िन्दगी कितनी हसीं होती है 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता :- 146 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।