उन हाथों में पत्थर हैं जो बेच आये बाज़ारों में ज़मीर अपना नक़ाहत में झुका है सर उस ईमान का बाकी बचा जो रह गया वो चैन में हैं वक़्त से जो मर गए कि क़फ़न तक इन दिनों किल्लत में है जीना तो क्या मरना भी होगा दुश्वार उसका बाकी बचा जो रह गया एक तूफ़ान यूँ आया कि बहा ले गया मेरे अंदर का शहर सारा मैं संभालने में इन दिनों लगा हूँ वो हिस्सा बाकी बचा जो रह गया 20/4/21 नक़ाहत - weakness /debility