आज करने दो हमें मनमर्ज़ियाँ बहने दो आब-ए-रवाँ की तरह मिटने दो ख़लिश इस दिल की मुझको औराक़-ए-परेशां होने दो जीने दो आज़ बेपरवाह मुझे कोई ख़लल ना आज ना पड़ने दो कल से फिर वहीं ज़िंदगी-ए-‘वेद’ आज कुछ लम्हें मुझे तन्हा जीने दो 🎀 Challenge-442 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।