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वो दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ जब मैं लगभग मर ही गया

वो दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ जब मैं लगभग मर ही गया था । बात है अमावस्या की रात की, मैं,ऐश्वर्य,मोहित और शशांक घने जंगल मे कैंपिंग के लिए गए थे। कुछ दूरी पर एक बंगला था। हमलोग यह सोच रहे थे कि बंगले में ठहरना ज़्यादा सही रहेगा। लेकिन गांव वालों की बातें सुनकर हममे हिम्मत नही थी क्योंकि गाव वालो का कहना था कि वह बंगला भूतिया है।फिर मैंने और शशांक ने सोचा कि हमे अंदर जाना चाहिए। तभी अचानक बिन मौसम बरसात होने लगी , बिजली कड़कने लगी और माहौल किसी हॉरर फिल्म जैसा हो गया था। बहुत हिम्मत करके चारो एक साथ अंदर घुसे। और दरवाज़ा अपने आप बंद  हो गया। मोहित ने कहा क कौन है वहा? जिसका एक बडे भारी और डरावनी आवाज़ में उत्तर आया मैं यक्षिणी तेरी मौत। यह सुनकर हम सब सहम गए । अब हमें और एडवेंचर नही चाहिए था। तो हमने सोचा कि किसी तरह यह से बाहर निकले। लेकिन सारे दरवाज़े इस तरह से बंद हो गए थे मानो उन्हें खुलने जैसा बनाया ही नही गया था। एक उड़ता हुआ गमला मेरे सर की ओर आया और मैं बेहोश हो गया। आंख खुली तो सामने एक ऐसा  चेहरा था जिसके बारे में आज भी सोचता हूँ तो रौंगटे खड़े हो जाते है। वो मेरे तरफ ही आ रही थी। मेरे दोस्त वह नही थे। वो आयी और उसके उंगलियों से 3-4 इंच बड़े जैसे नाखून निकले। मैं खुद आए बोला आज मेरी मौत लिखित है।और मैं डर के मारे चिल्लाने लगा। तभी चारो ओर जो अंधेरा था वो प्रकाश में बदल गया। सारे दोस्त आये और बोलने लगे तेरे साथ प्रैंक हुआ है । और तू यहां लेटा पड़ा है। उनकी बातों से लग रहा था जैसे वो मुझे यहां लेकर नही आये है। उन्हों ने कहा जो भी हुआ वो बस इस प्रैंक का हिस्सा था। मैंने उस औरत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने किसी औरत को प्रैंक में शामिल नही किया है।  यह सुनते ही मैं डर गया और हम सब वहां से भागने लगे। और पता नही कैसे लेकिन दरवाज़े खुल गए थे। क्या वो सच मे भूत थी या ये लोग कुछ छुपा  रहे थे?

©Aryan Nikhil #bhootbangla#yakshini#AryanNikhil
वो दिन मैं कैसे भूल सकता हूँ जब मैं लगभग मर ही गया था । बात है अमावस्या की रात की, मैं,ऐश्वर्य,मोहित और शशांक घने जंगल मे कैंपिंग के लिए गए थे। कुछ दूरी पर एक बंगला था। हमलोग यह सोच रहे थे कि बंगले में ठहरना ज़्यादा सही रहेगा। लेकिन गांव वालों की बातें सुनकर हममे हिम्मत नही थी क्योंकि गाव वालो का कहना था कि वह बंगला भूतिया है।फिर मैंने और शशांक ने सोचा कि हमे अंदर जाना चाहिए। तभी अचानक बिन मौसम बरसात होने लगी , बिजली कड़कने लगी और माहौल किसी हॉरर फिल्म जैसा हो गया था। बहुत हिम्मत करके चारो एक साथ अंदर घुसे। और दरवाज़ा अपने आप बंद  हो गया। मोहित ने कहा क कौन है वहा? जिसका एक बडे भारी और डरावनी आवाज़ में उत्तर आया मैं यक्षिणी तेरी मौत। यह सुनकर हम सब सहम गए । अब हमें और एडवेंचर नही चाहिए था। तो हमने सोचा कि किसी तरह यह से बाहर निकले। लेकिन सारे दरवाज़े इस तरह से बंद हो गए थे मानो उन्हें खुलने जैसा बनाया ही नही गया था। एक उड़ता हुआ गमला मेरे सर की ओर आया और मैं बेहोश हो गया। आंख खुली तो सामने एक ऐसा  चेहरा था जिसके बारे में आज भी सोचता हूँ तो रौंगटे खड़े हो जाते है। वो मेरे तरफ ही आ रही थी। मेरे दोस्त वह नही थे। वो आयी और उसके उंगलियों से 3-4 इंच बड़े जैसे नाखून निकले। मैं खुद आए बोला आज मेरी मौत लिखित है।और मैं डर के मारे चिल्लाने लगा। तभी चारो ओर जो अंधेरा था वो प्रकाश में बदल गया। सारे दोस्त आये और बोलने लगे तेरे साथ प्रैंक हुआ है । और तू यहां लेटा पड़ा है। उनकी बातों से लग रहा था जैसे वो मुझे यहां लेकर नही आये है। उन्हों ने कहा जो भी हुआ वो बस इस प्रैंक का हिस्सा था। मैंने उस औरत के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने किसी औरत को प्रैंक में शामिल नही किया है।  यह सुनते ही मैं डर गया और हम सब वहां से भागने लगे। और पता नही कैसे लेकिन दरवाज़े खुल गए थे। क्या वो सच मे भूत थी या ये लोग कुछ छुपा  रहे थे?

©Aryan Nikhil #bhootbangla#yakshini#AryanNikhil
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Aryan Nikhil

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