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हसरतें थी हमको भी बेहिसाब और बेशुमार, अब फख़त दर्द

हसरतें थी हमको भी बेहिसाब और बेशुमार,
अब फख़त दर्द ही बचा है इस दिल ए मज़ार ॥ #post258 #अंकितशर्माबेख़बर
हसरतें थी हमको भी बेहिसाब और बेशुमार,
अब फख़त दर्द ही बचा है इस दिल ए मज़ार ॥ #post258 #अंकितशर्माबेख़बर