मेदिनी पर निर्बलों की दुर्दशा का ऋण है न्याय का हर मंदिर आज छिन्न भीन्न है। धर्माधिकारी सब निस्तेज हो मूर्छित पड़े हैं जो कुछ प्रबल थे मृत्यु का भोजन बने हैं। है कोई जो इस त्रासदी को भस्म कर दे हर अकिंचन की प्रार्थना जो सत्य कर दे। शास्त्र जिसके शस्त्र की प्रत्यंचा बने हों त्याक्तों निर्बलों के तारणहार हों जो । शौर्य अप्रतिम हो जिस देवता का रण में क्षमा की लिप्तता तृण भर नहीं हो। गरल का हर घूँट पी धरती अमृत से सींचे वो विप्र जन्मे क्षत्रिय कर्मे कुलभूषण कहाँ हैं । अति क्रोधी अन्याय हंता, हे जितेन्द्रिय शास्त्र ज्ञानी परशु धारी ,तुमको नमन है।। नमस्तुभ्यं हे जामद्गने🙏 #परशुरामजयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ इस घोर कलयुग में मानवता के भक्षकों के अंत के लिए आपका प्राकट्य अत्यावश्यक है प्रभु🙏