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उसके हिज्र में दिन, क़यामत की गुज़ार रहे। हम वो लाश

उसके हिज्र में दिन, क़यामत की गुज़ार रहे।
हम वो लाश हैं,   जो के खुद को संवार रहे।।
अली अहमद 'दरभंगवी' 4
उसके हिज्र में दिन, क़यामत की गुज़ार रहे।
हम वो लाश हैं,   जो के खुद को संवार रहे।।
अली अहमद 'दरभंगवी' 4