जी उससे हमारा ना भरता कभी तलब रहती हैं हमें सदा विसाल-ए-यार की। रहना चाहते थे हम आगोश में उसकी सुनना चाहते थे धड़कन हम उसके दिल की। जी उससे हमारा ना भरता कभी तलब रहती हैं हमें सदा विसाल-ए-यार की। रहना चाहते थे हम आगोश में उसकी सुनना चाहते थे धड़कन हम उसके दिल की। सारी दुनिया का प्यार लुटाता था वो हम पर कुछ अलग ही बात थी उसके प्यार की।