अश्क हे आंखों मे? नहीं तो दिल उदास हैं? नहीं तो सब सही हैं?? हैं ना किसी से कोई आस है? नहीं तो शांत दिख रहीं हो? नहीं तो खामोशी की वज़ह कोई खास हैं? नहीं तो लगता है बहोत सूकून में हो आजकल? हुँ तो कुछ अनकहा हो तो बताओ! नहीं तो कभी वक़्त लेकर आओ! हाँ जरूर मैं उबा रहा हूँ? नहीं तो पर तुम उबा रहे हो? हैं ना कुछ हुआ है? नहीं तो आज जल्दी सोने जा रहे हो? जी हा रेगिस्तान सी बंजर आँखों में तुम्हारी नींद मुझे दिख नहीं रही? शायद अच्छा सुनो झूठ बोलकर जा रहे हो? नहीं तो तुम जाओ अभी तुम्हें खुद की जरूरत हैं? शायद 😄 -वर्षा 💙 शुभ रात्रि 💭 #varsharajauria