कोहरे में उसने बदन को छुपाया था, जैसे बादलों में चांद छुप आया था, दिल में थी कश्मकश मेरे भी उनसे मिलने की सर्द हवाओं से सारा शहर कपकपाया था जरा सी नजर देखने को झरोखों से मुझे उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था। डाली-डाली फूलों की ओस से लिपटी थी, शॉल से उसने अपने बदन को छुपाया था, मेरी हालत किसी अनजान मुसाफिर सी थी, जो दूर किसी शहर से मिलने आया था, जरा सी नजर देखने को झरोखों से मुझे, उस सर्द सुबह को उसने मिलने बुलाया था। ललित पचौली #Sard_subh_ki_mulakat# Neeraj Bakle (neer✍🏻) Ritika suryavanshi सुलगते लफ़ज IG-:sulagte.lafj