उनका कहना बिल्कुल उचित है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कुछ और नहीं बल्कि राहुल गांधी को नए सिरे से लांच करने की बारी है इस बीच बड़ा सवाल यही है कि क्या कांग्रेसी यह कोशिश कामयाब होगी या नहीं क्योंकि कई बार ऐसा लगता है कि राजनीति को लेकर राहुल निर्णय की स्थिति के शिकार दिखते हैं पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने न केवल कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया बल्कि दो टूक कह दिया कि पार्टी का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा लेकिन हुआ क्या उनके बाद पार्टी की कमान और सोनिया गांधी के पास ही चली गई जो स्वयं सहित संबंधी समस्याओं से जूझ रही है हालांकि कांग्रेस को गरीबी से जाने वाले भली भांति जानता है कि इस समय पार्टी अध्यक्ष भले ही सोने का नहीं हो लेकिन सभी छोटे बड़े फैसले राहुल और उनके मंडलों ही करती हैं इनकी पुष्टि किसी और नहीं बल्कि पार्टी के हॉल में प्लेन कर कर किए गए गुलाम नबी आजाद के उस पत्र से होती है जिनमें पूर्वी कांग्रेसी दिग्गजों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा था ©Ek villain #दुविधा की शिकार हुए राहुल गांधी #FindingOneself