तेरा निज़ाम हैं सर तन से जुदा करने की, ज़ुबाँ पे क़ाबू रखें ज़िंदगी बसर के लिये. और इस तख्त पे लहू के लाखों दाग हैं, तू गाज़ी बनता रहा शानो-शौकत के लिये. ©Bhavesh Thakur full gazal in caption.. ना जाने कौन-सी फ़िकर से तू हैं जूझ रहा, मैं खुशनसीब हूँ कि मर मिटा वतन के लिये. तेरा ईमान कैसा हैं ये परखा जायेगा तुम्हें तैयार रहना होगा हर सफर के लिये.