जिहादी आतंकी रक्त रंजित चित्रण के कारण वर्ष भारत का शांति के लिए बहुसंख्यक समाज ग्रस्त रहा है आजादी के पूर्व स्वामी श्रद्धानंद हत्या से अब तक निरपेक्ष की अभिव्यक्ति की आज़ादी की कीमत हिंदू युवा अपनी जान देकर चुकानी आए हैं सेक्युलरिज्म के नाम पर इस्लामिक कट्टरता को बढ़ाने में वामपंथी सेकुलर उदारवादी लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है व्यवस्था का ढीलापन इसके जगह जरिया रहा है यही कारण है कि एक के बाद एक चंद्रगुप्त अंकित सक्सेना रिंकू शर्मा कमलेश तिवारी और अब कर्नाटक के हर्ष जैसे वीर हिंदू युवाओं को हत्यारा लगातार हो रही है कटौती सभ्य समाज यदि अभी तक चांद रहा तो वह 1 दिन दूर नहीं आजादी के समय बिना प्रतिकूल माहौल एक बार फिर देखने को मिल सकता है ©Ek villain #आतंक पर खतरनाक चुप्पी #Drown