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राधे राधे *मंच को नमन* *प्रभु वंदना* कांहा कि

राधे राधे  *मंच को नमन* 
 *प्रभु वंदना* 

कांहा किरपा तू बरसाय
मार्ग सारो सुलभ हो जाय
चैन की बंसी तू बजाय
आनंद घट घट में हो जाए

सद्भाव सौहार्द की गंगा
रंगरस बरसाता जा
प्रित प्रेम को रंग चढ़ा कर
दुनिया में प्यार लुटाता जा

सुण ले दुनिया रा करतार
लगा दे खुशियां रा अंबार
तू है सबको पालनहार
तेरी है लीला अपरंपार

चींटी न कण हाथी न मण
हे तारणहार हां तेरी शरण
तू बेड़ो पार लगा दीजे
सारा संकट मिटा दीजे
रस्ता रस्ता हर राही के
खुशियां रा फूल खिला दीजे
महकतो सदा जीवन कर दे
जन जन प्रेम जगा दीजे

रमाकांत सोनी नवलगढ़

©kavi neetesh #Hindi 
#bhajan 
#hindi_poetry 
#kavi 
#Krishna
राधे राधे  *मंच को नमन* 
 *प्रभु वंदना* 

कांहा किरपा तू बरसाय
मार्ग सारो सुलभ हो जाय
चैन की बंसी तू बजाय
आनंद घट घट में हो जाए

सद्भाव सौहार्द की गंगा
रंगरस बरसाता जा
प्रित प्रेम को रंग चढ़ा कर
दुनिया में प्यार लुटाता जा

सुण ले दुनिया रा करतार
लगा दे खुशियां रा अंबार
तू है सबको पालनहार
तेरी है लीला अपरंपार

चींटी न कण हाथी न मण
हे तारणहार हां तेरी शरण
तू बेड़ो पार लगा दीजे
सारा संकट मिटा दीजे
रस्ता रस्ता हर राही के
खुशियां रा फूल खिला दीजे
महकतो सदा जीवन कर दे
जन जन प्रेम जगा दीजे

रमाकांत सोनी नवलगढ़

©kavi neetesh #Hindi 
#bhajan 
#hindi_poetry 
#kavi 
#Krishna