मुआफ़ी हो थोड़ी, तो एक चुटकी अलग रख देना ।। कभी कभी तेरे आंसुओं को, देख कर खुश हो लेता हूँ ।। तेरे दर्द से वास्ता नहीं है, बस तुझे इतना जानता हूँ के खामोश पहरेदार हूँ किसी आहट की आरज़ू में ।। इसलिए तुझे देखता हूँ गौर से । क्या करूँ ! उस उन्स का एहसास अलग है, जो अश्कों से रंगत को जोड़ता है ।। मुआफ़ी हो थोड़ी तो एक चुटकी मुझे दे देना ।। याचना #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Poem #Poetry #YoPoWriMo #Hindi #हिंदी #कविता #मुआफ़ी #अश्क #Sorry #क्षमा #Apology