सह लूं हर ग़म हर सितम पर ये तड़प न सही जाए तुम दूर हो इतने तुम्ही बोलो जाना क्या किया जाए! रग रग में शामिल तू तेरी सूरत आंखों में है समाई तेरे बिन मैं जीना ना पाऊं तुमसे दूर कैसे रहा जाए! हर रोज़ कसक उठती है सीने में दर्द भी होता है दर्द तो सह लूं मैं हंसकर तेरी कमी कैसे सहा जाए! समेटा है तेरी यादों को तेरी प्यारी बातों को दिल में भूल जाऊं मैं हर बात तेरी यादों को कैसे भुलाया जाए! एक कमी बस तेरी खलती है इसलिए तड़पता हूं आजा तू तड़पती इन बाहों में ये तड़प न सही जाए! ♥️ Challenge-550 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।