When I see your eyes दाग़-ए-नारसायी,शाम-ए-यास,कर्ब-ए-तिश्नगी देखा कितना असर है तेरी नामौजूदगी का... ख्वार मैं गुजारते हैं उम्र-ए-गुरेजा तू मुझे मुब्तिला कर गई ये भी कमाल है एक नजर का... भावना वैष्णव #दाग-ए-नारसायी = ना मिलने का दुख #शाम-ए-यास = ना उम्मीदी की शाम #कर्ब-ए-तिश्नगी = प्यास की बेचैनी #ख्वार = बदहाली #उम्र-ए-गुरेजा = भागती हुई जिंदगी #मुब्तिला = गिरफ़्त में #CTL