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वो खोये पल कहाँ से लायें, नज़दीकियां थी जो दूरियों

वो खोये पल कहाँ से लायें,
नज़दीकियां थी जो दूरियों में
भी कभी,
पास होकर भी आज दूर हैं
जो अब,
वो खोया कल कहाँ से लायें।

बयाँ सब कुछ झुकी पलकें
ही किया करती थी,
 दिलों के राज़ खामोशियों
से ही हुए थे कभी,
मिलती नज़रें भी बातें
चुराती हैं जो अब,
वो खोए लफ्ज़ कहाँ से लायें।

काट रहे ज़िंदगी सोंच में यूँ 
भी,
मुहब्बत जाग उठे शायद
एक बार फिर,
साँसें मिल जाएंगी टूटते
रिश्ते को कहीं,
मलाल है थोड़ा फिर भी
के हम ले तो आयें,
पर
वो खोये,डूबे रूह इश्क़
में,
वो जुनून एक दूजे को
पाने में
वो हर एक बात गुजरे
में,
वो पहली बरसात,रात
गहरे जज़्बात,
वो सब कुछ जो लिखा
ना जा सके,
इस रिमझिम के फ़साने
में,
वो सब,हम
वापिस फिर  कहाँ से लायें,
वो खोये पल कहाँ से लायें।

                         
                                       ✍रिमझिम कश्यप 😊 #RaysOfHope #Ihopeso#shayari#wohkhoyepal Nitin Nitish कवि सुरेश'अनजान'  vishal kumar salvi shivakant bharadwaj ✍️sk मौर्यवंशी...1920🇮🇳
वो खोये पल कहाँ से लायें,
नज़दीकियां थी जो दूरियों में
भी कभी,
पास होकर भी आज दूर हैं
जो अब,
वो खोया कल कहाँ से लायें।

बयाँ सब कुछ झुकी पलकें
ही किया करती थी,
 दिलों के राज़ खामोशियों
से ही हुए थे कभी,
मिलती नज़रें भी बातें
चुराती हैं जो अब,
वो खोए लफ्ज़ कहाँ से लायें।

काट रहे ज़िंदगी सोंच में यूँ 
भी,
मुहब्बत जाग उठे शायद
एक बार फिर,
साँसें मिल जाएंगी टूटते
रिश्ते को कहीं,
मलाल है थोड़ा फिर भी
के हम ले तो आयें,
पर
वो खोये,डूबे रूह इश्क़
में,
वो जुनून एक दूजे को
पाने में
वो हर एक बात गुजरे
में,
वो पहली बरसात,रात
गहरे जज़्बात,
वो सब कुछ जो लिखा
ना जा सके,
इस रिमझिम के फ़साने
में,
वो सब,हम
वापिस फिर  कहाँ से लायें,
वो खोये पल कहाँ से लायें।

                         
                                       ✍रिमझिम कश्यप 😊 #RaysOfHope #Ihopeso#shayari#wohkhoyepal Nitin Nitish कवि सुरेश'अनजान'  vishal kumar salvi shivakant bharadwaj ✍️sk मौर्यवंशी...1920🇮🇳