* निखरते ~ अल्फ़ाज़ * " मैं हर शख्स को आसानी से समझ आता नहीं , मुझे कभी झूठ और फरेब करना जो आता नहीं ! पहली ही मुलाकात में तेरी हसरत गले मिलने की है , सुन मुझे इतनी आसानी से पिघलना आता नहीं ! मैं एक दो तीन तक गलतियां करने तक क्यों रुकूं , मुझे इंसानों की समझ है मुझे बहकना आता नहीं ! मेरी नजरों में चांद सूरज छोटे बड़े सब अच्छे हैं , मुझे इंसानियत को तराजू में तोलना आता नहीं ! तुम्हें कितने सलीके से मीठा झूठ बोलना आता है , लौट कर आने का वादा कर भी तू वापस आता नहीं ! वो दरख़्त अब सूख गए हैं जो हमने साथ लगाए थे , तुम गए हो जब से वहां कोई बैठने तक आता नहीं ! कितने पहरे लगा कर रखें है खुदा तूने मेरी मंजिल तक , दिल की आग तूने अभी देखी नहीं मुझे हारना आता नहीं ! " - ' धनन्जय निरापुरे ' @Nikharte Alfaaz ...................…........ #InspireThroughWritin : : : : #nojoto