गरीब परिवार को साथ लिए, पढ़ने में थे बड़े होशियार, सपने थे बहुत बड़े-बड़े, पर पैसे की थी घर में मार। उच्च शिक्षा को प्राप्त के लिए, सोचा शुरू करते रिसर्च की शुरुआत, खूब मेहनत से पास किये, देश का सर्वश्रेष्ठ संस्था JNU का इम्तिहान। चले JNU पढ़ने को, हॉस्टल वाले ख्वाब के साथ, हुई अचानक फ़ीस में 300 प्रतिशत की वृद्धि, घूमने लगे मन में अधुरे सपने का नाम। अब जिन छात्रों का क्लास में होना, वो छात्र अब भीड़ के सैलाब में हैं, क्या शिक्षा में भी अमीरी-गरीबी, की उनके हक को वो कुचल रहे। हम फीस के विरोध में खड़े हुए तो, उनकी लाठियां हम पर बरस रही थी, इस देश को लूटने वाले अगर हो, उनको समर्थन ही समर्थन पनप रही थी। क्या हम भूल रहे हैं इस संस्था को, जिसने देश को बड़ा-बड़ा नाम दिया, क्या भारत को भारत बनाने में ये गद्दार ही काफी, जिन्होंने इन छात्रों संग बदसलूकी का काम किया। रोज़ लगाते ये छात्र न्याय की गुहार, कौन सुनता है इनकी बात, सिर्फ रोज़ चिल्लाते हैं शिक्षा-शिक्षा, या JNU के नाम पे ये बन चुके हैं लाश। #standwithjnu #pk_poetry #ballia