ज़िंदगी की शाम ज़िंदगी की शाम में से कुछ अलग सी आज शाम आई है, बदला काफ़ी कुछ है और कुछ बात अलग सी है, लेकर कुछ अलग से हालात आई है, लगा जैसे,👇👇 डूबता सूरज कुछ आवाज़ दे रहा हो, हल्की हल्की धुन में आपका ही नाम ले रहा हो, किसी की याद है आंखों में, आसमां से लेकर जमीं तक तन्हाई है। अपनों से दूरी बढ़ी जैसे ही, चेहरा रोशन था, दिन सा, अब एकदम से अंधेरी रात आई है। #ज़िंदगी की शाम ✍️✍️✍️ विकास Soumya Jain