जिसको खड़ा किया है मजबूरियों ने भरे बाज़ार में उसे ज़माना वैश्या बता रहा है,,, और अपने घर का चिराग ना जाने कितनी ऐसी लड़कियों को तबाह कर के इसी राह पे ला रहा है,,, चार पैसे क्या कमाने लगा वो कल का आवारा सा लड़का आज वही एक मजबूर समझदार को ज्ञान की बात बता रहा है,,, ये कैसा वक़्त आ रहा है... part 12