क्यूँ लगे हो खुद को तबाह करने में, तुम्हें डर नहीं लगता गुनाह करने में..!! सबकी आँख का काँटा बन जाओगे, ज़हमत होगी उससे निकाह करने में..!! गैरों से निभाना इतना भी कठिन नहीं, मुश्किल है अपनों से निबाह करने में..!! औरों को तुम क्या रास्ता दिखाओगे, गुजर जाओगे खुदको गुमराह करने में..!! शायर बन जाना सबके बस का नहीं, टूटना पड़ता है इसकी चाह करने में..!! उम्रभर का तज़ुर्बा लग जाता है जनाब, फ़क़त एक वाह को एक आह करने में..!! क्यूँ लगे हो खुद को तबाह करने में, तुम्हें डर नहीं लगता गुनाह करने में..!! सबकी आँख का काँटा बन जाओगे, ज़हमत होगी उससे निकाह करने में..!! गैरों से निभाना इतना भी कठिन नहीं, मुश्किल है अपनों से निबाह करने में..!!