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प्रेम और पराजय ( अनुशीर्षक में पढ़े ) एक इंसान के

प्रेम और पराजय 
( अनुशीर्षक में  पढ़े ) एक इंसान के जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं |
जब उसे लगता है  की वो जिसकिसी से भी प्रेम करता है | उसने अपना मानता है..वो  शख्स उसे समझ नहीं पाता या  फिर उसके प्रेम को  ठुकरा देता है और फिर  वो  शख्स निराश होकर पराजित महसूस करता है..  "प्रेम में विफल "

पर  कोई सच्चे मायनों में प्रेम में विफल हो सकता है  क्या..?|  
मेरा मानना है नहीं कभी नहीं... 
जिसे तुम पराजय मान रहे हो.. 
वो तो तुम्हारे अहंकार की पराजय है 
तुम्हारे प्रेम पर एकअधिकार करने के अहंकार की...
प्रेम और पराजय 
( अनुशीर्षक में  पढ़े ) एक इंसान के जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं |
जब उसे लगता है  की वो जिसकिसी से भी प्रेम करता है | उसने अपना मानता है..वो  शख्स उसे समझ नहीं पाता या  फिर उसके प्रेम को  ठुकरा देता है और फिर  वो  शख्स निराश होकर पराजित महसूस करता है..  "प्रेम में विफल "

पर  कोई सच्चे मायनों में प्रेम में विफल हो सकता है  क्या..?|  
मेरा मानना है नहीं कभी नहीं... 
जिसे तुम पराजय मान रहे हो.. 
वो तो तुम्हारे अहंकार की पराजय है 
तुम्हारे प्रेम पर एकअधिकार करने के अहंकार की...