जीवन की ये नीरसता धरा को शमसान करेगी दुर्दन की देख विपलता को मौत का आह्वान करेगी सत्यधाम की परम् आस्था मे विष का ये वाम करेगी जीवन की ये नीरसता धरा को शमसान करेगी उदिग्न मन की ये करुणा करुणा रस से निकली होगी पीने को तो अमृत था पर विष का ये पान करेगी जीवन की ये नीरसता धरा को शमसान करेगी चंचल मन की चंचल चपला जिह्वा से रस पान करेगी मीरा को तो विष पीते देखा राधा भी विष पान करेगी जीवन की ये नीरसता धरा को शमसान करेगी..... .......परशुराम नौमेश पाण्डेय