रेत की तरह बस यूहीं फिसलता चला गया। गर्दिशो के तूफानो मे भी चलता चला गया। मुफलिसी के बादलो ने बहुत अंधेरा किया। सूरज जैसे चमक कर निकलता चला गया। शादाब अहमद। #शादाब अहमद