कितना कुछ कहे थे, मन ही मन तुम्हें, तुम्हारी आंखों में देखते हुए पर तुम सुन नहीं पाए शायद पूछे थे कुछ, तुम्हारे बातों का जवाब भी दिए थे मन ही मन पर तुम सुन नहीं पाए शायद रोकना चाहे थे, बस थोड़ी सी देर कहे भी थे रुक जाओ ना मन ही मन पर तुम सुन नहीं पाए शायद चीखे थे, चिल्लाए थे, पुकारे थे तुम्हारा नाम मन ही मन पर तुम सुन नहीं पाए शायद मेरी आवाज़ पहुंची नहीं तुम तक शायद इसलिए चले गए तुम ... शायद.... ✿5/7/2022✿ ...