दवा मिल सकी ना खुशी का पता रूह में कहीं इक मर्ज़ बाँकी है जिस्म लेकर फिरा पर इंसान ना बन सका खुदा की रहमत का कुछ कर्ज़ बाँकी है उन्हें मोहब्बत थी हमसे या एक खेल था वो जल्द समझ जाएंगे थोड़ा सा फर्क बाँकी है जिसे खो दिया बहुत नजदीक आकर हमने उस मंजिल के कांधे पर कहीं एक हर्फ बाँकी है तेरी यादों में जला किया रात-दिन जुगनू सा मैं तेरे बाद भी तेरे लिए मेरा कुछ फर्ज बाँकी है दिल्लगी अज़िय्यतों और हौंसलों का सफर है इश्क़ की तहरीरों में होना बस ये दर्ज बाँकी है संभालकर रखना जरा इरशादों के गुलाब अभी बहुत कुछ होना दोस्त अर्ज बाँकी है.. ©KaushalAlmora #बाँकी #रोजकाडोजwithkaushalalmora #365days365quotes #yqdidi #रातदिन #love #अज़िय्यत #poetry