मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ तोरी सांवली सूरत दरपन में देखूँ। जग सांवला हुआ रे। यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। तेरी बंसी की धुन गूँज रही पत्तन में, रज रज में पूरे गोकुल की सुधबुध गयी जबसे यादें छोड़ गया तू गोकुल में अब आ भी जारे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। पारुल शर्मा #Krishna गीत मोरा जियरा बिसरा रे यमुना घाट के किनारे कान्हा आजा तू बंसी बजारे। मोरा जियरा बिसरा रे सपनों में देखूँ,नैनन में देखूँ