दिन को भी अंधेरा कर दो, रातों में भी दीप कहां है। दिन भर दीन लेटा रहता, सवेरे लगाता दिल गोता कहां है। शाम करवटें गिन गुजारा, सहर का कोई पेशा कहां है। मुट्ठी का मिट्टी नोच सब खाए, मैल हाथों का कोई देता कहां है। दिन को भी अंधेरा कर दो, रातों में भी दीप कहां है।। #garibkiawaaz #berozgari #unemployment #dinraat #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqtales