एक हकीकत एक मासूम , प्यारी सी बच्ची हंसती खेलती अपने घर से बाहर निकली घर के गेट से निकलते ही जाने क्यों सहमी एक नन्ही हाथों मे कुछ दस के नोट थी पकड़ी और मन ही मन ये सोच रही, मां ने कहा था चुपचाप जाना किसी से राह मे ना बतियाना कोई कुछ दे तो ना खाना जल्दी सामान ले वापस आना तुम ज्यादा देर ना लगाना फिर मुस्कुराई , और मन मे बोली जाने क्यों मां इतना डरती है कौन से राक्षस की बात करती हैं घर के पास ही तो दुकान है सबसे तो पापा की पहचान हैं फिर पलट के पिछे देखा जैसे नन्ही आंखें मां को ढूंढ रही एक मासूम प्यारी सी बच्ची मां शायद कुछ काम मे लगी होगी मेरा रास्ता देखती होगी ये कैसा डर उस मासूम को सता रहा हिम्मत करके आगे बढ़ती बस चार घरों के बाद ही दुकान है यही वह खुद को समझा रही एक मासूम प्यारी सी बच्ची मुस्कान एक हकीकत .....ये तो उस मासूम बच्ची की उलझन है आगे पढ़िये उस मां की उलझन एक हकीकत पार्ट 2। #Nojotohindi #Nojotosacchai