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इस तरह गुज़र रही है जिंदगी, खुली किताब की तरह ढलता

इस तरह गुज़र रही है जिंदगी, खुली किताब की तरह
ढलता हूँ क्षितिज पे मद्धम हो कर, आफ़ताब की तरह
मुझे आरज़ू ना रही कुछ पाने की, ना खोने का डर हैं
बस इल्तिजा है, तुम्हें पाने की, किसी सवाब की तरह

 क्षितिज: वह स्थान जहां धरती और आकाश मिलतें हुए से प्रतीत होते हैं
आफ़ताब: सूरज, सूर्य
इल्तिजा: प्रार्थना, निवेदन
सवाब: अच्छे कार्य का फल

खुली किताब की तरह 
मुझे मिली है ज़िन्दगी...
#खुलीकिताब #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
इस तरह गुज़र रही है जिंदगी, खुली किताब की तरह
ढलता हूँ क्षितिज पे मद्धम हो कर, आफ़ताब की तरह
मुझे आरज़ू ना रही कुछ पाने की, ना खोने का डर हैं
बस इल्तिजा है, तुम्हें पाने की, किसी सवाब की तरह

 क्षितिज: वह स्थान जहां धरती और आकाश मिलतें हुए से प्रतीत होते हैं
आफ़ताब: सूरज, सूर्य
इल्तिजा: प्रार्थना, निवेदन
सवाब: अच्छे कार्य का फल

खुली किताब की तरह 
मुझे मिली है ज़िन्दगी...
#खुलीकिताब #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine