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जब झूठ के सौदागर सच की पैरवी करने लगे तो समझ लो क

जब झूठ के सौदागर सच की पैरवी करने लगे 
तो समझ लो कि उनका वक्त पूरा होने को है। 
झूठा आदमी तभी सच की ओर मुड़ता है 
जब उसे सच से फायदा होता दिखता है। 
अपने फायदे के लिए बोला गया सच भी 
अपने फ़ायदे के झूठ से कई गुना बदतर है।
तो अपने फायदे के लिए, सच हो या झूठ 
दोनों का उपयोग घटिया दिमागी तरकीब है। जब #झूठ_के_सौदागर सच की पैरवी करने लगे 
तो समझ लो कि उनका वक्त पूरा होने को है। 
झूठा आदमी तभी सच की ओर मुड़ता है 
जब उसे सच से फायदा होता दिखता है। 
अपने फायदे के लिए बोला गया सच भी 
अपने फ़ायदे के झूठ से कई गुना बदतर है।
तो अपने फायदे के लिए, सच हो या झूठ 
दोनों का उपयोग घटिया दिमागी तरकीब है।
जब झूठ के सौदागर सच की पैरवी करने लगे 
तो समझ लो कि उनका वक्त पूरा होने को है। 
झूठा आदमी तभी सच की ओर मुड़ता है 
जब उसे सच से फायदा होता दिखता है। 
अपने फायदे के लिए बोला गया सच भी 
अपने फ़ायदे के झूठ से कई गुना बदतर है।
तो अपने फायदे के लिए, सच हो या झूठ 
दोनों का उपयोग घटिया दिमागी तरकीब है। जब #झूठ_के_सौदागर सच की पैरवी करने लगे 
तो समझ लो कि उनका वक्त पूरा होने को है। 
झूठा आदमी तभी सच की ओर मुड़ता है 
जब उसे सच से फायदा होता दिखता है। 
अपने फायदे के लिए बोला गया सच भी 
अपने फ़ायदे के झूठ से कई गुना बदतर है।
तो अपने फायदे के लिए, सच हो या झूठ 
दोनों का उपयोग घटिया दिमागी तरकीब है।