वह गर्म धुप में बरगद के पेड़ सा है। और वह तूफ़ान मै पक्के मकान सा है। सावन की भीषण बरसात में हमरे सिर पर वह छात्रों छाया सा है । हर मुसीबत मै मेरी ढाल सा है । अपने आप को झुलसा कर भी मेरी हर जरूरत पूरे करने वाला वह कोई और नहीं मेरे बापु का साया है मेरे बापु का साया है ।।।।।।। ------ by Silyana singh #poemoftheday #FathersDay #DolikeNdShare