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जो फर्ज निभाते हैं वो ही फर्जी कहलाते हैं जो रहते

जो फर्ज निभाते हैं
वो ही फर्जी कहलाते हैं

जो रहते हैं मां बाप के पास
पैसे नहीं कमाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो सामाज में समय बिताते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो द्वार पर आए लोगों को
पानी चाय पिलाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं
जो पूरे घर की जिम्मेदारियों को 
कंधो पर उठाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो स्वार्थ से परे होकर
ईमानदारी दिखाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो परिवार को साथ रखकर
बिखरने से बचाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
सब कुछ करने के बाद भी
जिन्हें घर पर ताने सुनाए जाते हैं
वो‌ फर्जी कहलाते हैं
और वे जो मां बाप को छोड़कर
बीबी बच्चों को लेकर, बस धन कमाते हैं
वो समाज क्या मां बाप की नजरों में भी
नायक बन जाते हैं। आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय  कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं  आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं।
अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें
बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें 
लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की।
चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो।
लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को
ही बेहतर व लायक बताएगा।
क्योंकि उनमें वो स्वार्थ ढूंढते हैं।
जो फर्ज निभाते हैं
वो ही फर्जी कहलाते हैं

जो रहते हैं मां बाप के पास
पैसे नहीं कमाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो सामाज में समय बिताते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
जो द्वार पर आए लोगों को
पानी चाय पिलाते हैं वो फर्जी कहलाते हैं
जो पूरे घर की जिम्मेदारियों को 
कंधो पर उठाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो स्वार्थ से परे होकर
ईमानदारी दिखाते हैं
वो फर्जी कहलाते हैं
जो परिवार को साथ रखकर
बिखरने से बचाते हैं 
वो फर्जी कहलाते हैं
सब कुछ करने के बाद भी
जिन्हें घर पर ताने सुनाए जाते हैं
वो‌ फर्जी कहलाते हैं
और वे जो मां बाप को छोड़कर
बीबी बच्चों को लेकर, बस धन कमाते हैं
वो समाज क्या मां बाप की नजरों में भी
नायक बन जाते हैं। आप किसी को चाहे जितना समय दो उसके लिए तुम्हारे समय  कोई मूल्य नहीं है, क्योंकि लोगों को पैसे दिखाई देते हैं  आपके जीवन का बहुमूल्य समय नहीं।
अगर परिवार में दो या दो से अधिक भाई हो और एक घर पर मां बाप के पास रहे उनकी देखभाल करें, बीमार होने पर दवाई करें
बाप के सम्मान को समाज में बनाए रखें 
लेकिन मां बाप उसकी उतनी कीमत नहीं लगाएंगे जितनी बाहर रहकर पैसे कमाने वाले बेटों की।
चाहे बाहर रहने वाला बेटा कभी कभार ही बात करता हो, कभी कभार ही पैसे देता हो।
लेकिन मां बाप व यह समाज भी बाहर रहने वाले बेटों को
ही बेहतर व लायक बताएगा।
क्योंकि उनमें वो स्वार्थ ढूंढते हैं।