आज का काम आज कुल पल ही सही ; पर जमाने पर , राज कर लेगें हम चोरी , चुपके आज ; शुरुआत , कर लेगें देगें हर सम्भव , माकूल जवाब ; जीत से ,हार को क्यों छोड़े कल पर कोई काम सारे आज कर लेगें कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद आज का काम आज......कीर्तिप्रद